बिजनौर उत्तरप्रदेश का एक जिला है बिजनौर जिले में तोमर गोत्र के जाटों कि एक बहुत बड़ी आबादी निवास करती है बिजनौर जिले में तोमर गोत्र के उपगोत्र -भेंड़ा तोमर (भिंडा ), कापड़े तोमर (कपेडे तोमर ) ,सलकलान तोमर है जो गोत्र के रूप में तोमर ही काम लेते और आपस में शादी विवाह नहीं करते है
भेंड़ा तोमर -सन 1375 में जब दिल्ली पर फ़िरोज़ शाह का शासन था उसी समय एक जाट यौद्धा वीरपाल जाट ने भिण्ड(मध्यप्रदेश ) में तोमर जाट गावो कि स्थापना कि कुछ वर्ष बाद तोमर जाटों ने सामूहिक रूप से यह क्षेत्र छोड़ दिया अपने गाव भिंड के नाम पर यह भेंड़ा तोमर कहलाये जयपुर जिले में इनको भिण्डा बोला जाता है यहाँ से इनकी एक शाखा बिजनौर पहुची और हाजीपुर गाव को बसाया । नैनसिंह तोमर अपनी वीरता के कारन नैना बाबा नाम से भी प्रसिद्ध है । एक समय बिजनौर जिले के जाटों की अनुशासन व्यवस्था इसी गांव के देवता नैनसिंह के द्वारा संचालित होती थी। इस हाजीपुर के तोमरो में चौधरी चरण सिंह जी कि बेटी कि सुसराल है
कापड़े (कपेडे ) तोमर - यह नाम एक गाव का ही प्रतिक है यह मूल रूप से सलकलान तोमर थे जो देश क्षेत्र के किसी कापेडे पट्टी से आये कल्याण सिंह तोमर के वंशज है इनको तंवर वंश के कपेडे भी बोला जाता है कल्याण सिंह जी ने कल्याणपुर बसाया जो आज केलनपुर नाम से जाना जाता है इस शाखा के तोमरो के वहा 15 से अधिक गॉव है जिनमे
बकैना, बमनपुरा (वमनपुर) ,भवानीपुर, बीदीआ खेड़ा, पृथ्वीपुरा ,सराय ,मुस्तफाबाद , हिसामपुर मुख्य है
सलकलान तोमर - यह महाराजा सलकपाल तोमर के वंशज है जो बाग़पत क्षेत्र से जाकर बसे हुए है इनके आज 14 से अधिक गाव इस क्षेत्र में है
बिजनौर जिले में तोमर गोत्र के गाव निम्न है
बकैना, बमनपुरा (वमनपुर) ,भवानीपुर, बीदीआ खेड़ा, गनसूरपुर, हिसमपुर ,हुसैनपुर, केलनपुर , मुस्तफाबाद, म्यूकरपुर साटी ,काला पहाड़पुर उर्फ़ मलेशिया ,बागरपुर,पीपली जाट,पीपलसाना,सराय , शाहपुर,तिसोतरा (तिसोत्रा),हाजीपुर, ,हल्दौर, ,रवती,समसपुर,शेखपुरी मीना,इमालिया (इमलिया),भरेरा,सलमाबाद,बुडपुर, रुकनपुर (रुकन्पुर ),लतीफपुर उर्फ़ चुखेड़ी, हिरनाखेडी,कान्हा नंगला,जाट नंगला ,नगला जाजन ,श्योहरा,ढकौली , जगन्नाथ पुर ,मिठारी ,ढाक्की .,सालमाबाद फत्तनपुर , सिकंदरपुर,मिट्ठेपुर मीठेपुर,गुरदासपुर जगत,हमा नगली,कादराबाद,गुनियापुर,बालापु र,जटपुरा,खलीलपुर, श्यामपुर ,छाचरी ,उमरपुर ,टाण्डा ,धनसिनी, इस्माईलपुर ,सिकंदरपुर, लतीफपुर उर्फ़ चुखेड़ी
भेंड़ा तोमर -सन 1375 में जब दिल्ली पर फ़िरोज़ शाह का शासन था उसी समय एक जाट यौद्धा वीरपाल जाट ने भिण्ड(मध्यप्रदेश ) में तोमर जाट गावो कि स्थापना कि कुछ वर्ष बाद तोमर जाटों ने सामूहिक रूप से यह क्षेत्र छोड़ दिया अपने गाव भिंड के नाम पर यह भेंड़ा तोमर कहलाये जयपुर जिले में इनको भिण्डा बोला जाता है यहाँ से इनकी एक शाखा बिजनौर पहुची और हाजीपुर गाव को बसाया । नैनसिंह तोमर अपनी वीरता के कारन नैना बाबा नाम से भी प्रसिद्ध है । एक समय बिजनौर जिले के जाटों की अनुशासन व्यवस्था इसी गांव के देवता नैनसिंह के द्वारा संचालित होती थी। इस हाजीपुर के तोमरो में चौधरी चरण सिंह जी कि बेटी कि सुसराल है
कापड़े (कपेडे ) तोमर - यह नाम एक गाव का ही प्रतिक है यह मूल रूप से सलकलान तोमर थे जो देश क्षेत्र के किसी कापेडे पट्टी से आये कल्याण सिंह तोमर के वंशज है इनको तंवर वंश के कपेडे भी बोला जाता है कल्याण सिंह जी ने कल्याणपुर बसाया जो आज केलनपुर नाम से जाना जाता है इस शाखा के तोमरो के वहा 15 से अधिक गॉव है जिनमे
बकैना, बमनपुरा (वमनपुर) ,भवानीपुर, बीदीआ खेड़ा, पृथ्वीपुरा ,सराय ,मुस्तफाबाद , हिसामपुर मुख्य है
सलकलान तोमर - यह महाराजा सलकपाल तोमर के वंशज है जो बाग़पत क्षेत्र से जाकर बसे हुए है इनके आज 14 से अधिक गाव इस क्षेत्र में है
बिजनौर जिले में तोमर गोत्र के गाव निम्न है
बकैना, बमनपुरा (वमनपुर) ,भवानीपुर, बीदीआ खेड़ा, गनसूरपुर, हिसमपुर ,हुसैनपुर, केलनपुर , मुस्तफाबाद, म्यूकरपुर साटी ,काला पहाड़पुर उर्फ़ मलेशिया ,बागरपुर,पीपली जाट,पीपलसाना,सराय , शाहपुर,तिसोतरा (तिसोत्रा),हाजीपुर, ,हल्दौर, ,रवती,समसपुर,शेखपुरी मीना,इमालिया (इमलिया),भरेरा,सलमाबाद,बुडपुर,
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