surajmal

आज महाराजा सूरजमल का 307 वॉ जन्मदिवस है । महाराजा सूरजमल त्याग ,बलिदान ,वीरता कि साक्षात् मूर्ति है । इसलिए उनके जन्मदिवस को शोर्य दिवस के रूप में मनाना चाहिए ।जब सम्पूर्ण भारत के राजा राज्य करने के लिए मुगलो को अपनी बहिन बेटी दे रहे थे । उस समय महाराज ने अपनी वीरता से अपने राज्य का न केवल विस्तार किया बल्कि मुगलो को अपने आगे घुटने टेक ने को मजबूर कर दिया । मुगलो से दिल्ली जीतने वाले एक मात्र हिन्दू राजा थे । उनके खौफ के कारन ही मुगलो ने अपने राज्य में पीपल के पेड़ को काटने और गाय कि हत्या पर प्रतिबन्ध लगाया था ।
सूरज सा दिलेर उस समय कोई नहीं था ।
महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी 1707 को महारानी देवकी और महाराजा बदनसिंह के घर हुआ उनके जन्म के संबंध में जन मानस में एक लोकगीत प्रचलित है
'आखा' गढ गोमुखी बाजी । माँ भई देख मुख राजी ।।
धन्य धन्य गंगिया माजी । जिन जायो सूरज मल गाजी ।।
भइयन को राख्यो राजी । चाकी चहुं दिस नौबत बाजी ।।
भरतपुर इतिहास के अनुसार सूरजमल महाराजा बदन सिंह के ही पुत्र थे जबकि कुछ इतिहासकार उनको दत्तक पुत्र मानते है । महाराजा बदनसिंह के 26 पुत्र थे ऐसे में उनको किसी को गोद लेने कि क्या जररूत थी । सूरजमल कि माँ कामा  कि जाटणी थी ।
बदनसिंह के 26 पुत्र निम्न थे सूरजमल ,प्रतापसिंह ,अखैसिंह ,बलराम सिंह ,बिजयसिंह ,बीरनारायण सिंह ,दलेल सिंह ,दुल्हसिंह ,देवीसिंह ,गुमानसिंह ,हिम्मत सिंह ,जोध सिंह ,कुशालसिंह ,खेमकरण सिंह ,लालसिंह ,मानसिंह ,मेघ सिंह ,उदयसिंह, सुलतानसिंह ,सुखरामसिंह ,साकत सिंह ,सभाराम सिंह ,रामकृष्ण सिंह ,  रामबल सिंह ,रामप्रेमसिंह
 महाराजा सूरजमल का वास्तविक नाम सुजानसिंह था । महाराजा सूरजमल के 14 रानियाँ और 5 लड़के थे  उनकी रानियों में किशोरी देवी ,हसिया रानी। गौरी देवी ,ख़त्तुदेवी कल्याणी देवी ,गंगा देवी मुख्य है , उनके पुत्र जवाहर सिंह ,रणजीतसिंह ,रतन सिंह , नाहरसिंह ,नवल सिंह थे

अपनी वीरता के दम पर सूरजमल का राज्य पलवल ,मेवात ,गुडगाव ,रोहतक ,नीमराणा ,मेरठ ,बुलंद सहर ,अलीगढ ,एटा ,इटावा ,मैनपुरी मथुरा ,हाथरस ,फ़िरोज़ाबाद ,आगरा तक फैला हुआ था ।
महाराजा सूरजमल ने अपने जीवन में बहुत से युद्ध लड़े और जीते युद्धो के दोरान दुश्मन को नरक का रास्ता उनकी तलवार ने दिखाया
चन्दौस का युद्ध  1746,बगरू का युद्ध 20 अगस्त  1748 को जयपुर रियासत के दो भाइयो के बीच था जहा माधोसिंह के साथ सम्पूर्ण राजपूत और मराठा शक्ति थी वही ईश्वर सिंह के साथ जाट वीर सूरजमल थे सूरजमल को युद्ध में दोनों हाथो में तलवार ले कर लड़ते देख राजपूत रानियों ने उनका परिचय पूछा तब सूर्यमल्ल मिश्रण ने जवाब दिया यह वीर लोहागढ़ का जाट वीर है और आगे का परिचय एक इस प्रकार  दिया
"नहीं जाटनी ने सही व्यर्थ प्रसव की पीर
जन्मा उसके गर्भ से सूरजमल सा वीर"
इस युद्ध में सुरजमल ने सम्पूर्ण राजपूत शक्ति को एक साथ पराजित किया
1जनवरी 1750को मीर बक्शी ने सूरजमल से समझोता कियाउनके राज्य में न पीपल कटा गयेगा नहीं गाय हत्या होगी और न किसी मंदिर को नुकसान होगा
उस समय उनका खौफ था जो मुस्लिम इस बात को मानने के लिए मजबूर हुए जिसको आज तक कोई दूसरा भी नहीं मनवाया पाया
घासेड़ा का युद्ध  1753में हुआ
दिल्ली विजय 10 मई 1753
दिल्ली के मुग़ल बादशाह के एक सुखपाल नाम का ब्राह्मण काम करता था , एक दिन उसकी लड़की अपने पिता को खाना देने महल में चली गयी मुग़ल बादशाह उसके रूप पर मोहित हो गया । और ब्राह्मण से अपनी लड़की कि शादी उससे करने को कहा और बदले में उसको जागीरदार बनाने का लालच दिया ब्राह्मण मन गया और अपनी बेटी चन्दन कौर कि शादी मुग़ल बादशाह से कारको तैयार हो गया , जब चन्दन कौर ने यह बात सुनी तो उसने शादी से इंकार कर दिया क्रोधित बादशाह ने लड़की को जिन्दा जलाने का आदेश सिया ,मौलवियो ने बादशाह से कहा ऐसा तो यह मर जायेगी । आप इस  को जेल में डालकर कष्ट दो राजा मन गया और लड़की को जेल में डाल दिया , लड़की ने जेल कि जमादारनी से कुछ क्या इस देश में कोई ऐसा राजा नहीं है जो हिन्दू लड़की कि लाज बचा सखे जमादारनी ने कहा ऐसा वीर तो सिर्फ है है लोहागढ़ नरेश बेटी तू एक पत्र लिख में तेरी माँ को दे दुगी लड़की के दुखो को देख वहाँ काम करने वाली जमादारनी ने लड़की कि मदत कि उसने अपने काजल से  एक पत्र लिखा और उसकी माँ पत्र ले कर सूरजमल से पास गयी उसकी कहानी सुन सूरजमल ने अपने दूत वीरपाल गुर्जर को दिल्ली भेजा बादशाह ने  गुर्जर कि हत्या का दी और   मरते मरते दूत ने अपना संदेश लोहगढ़ भेज दिया कि मुग़ल बादशाह बोले कि तू मुझे जाटणी का ढोल दे दे यह सुन महाराज सूरजमल गुर्रा के खेड़े हुए और दिल्ली पर जाटों ने चढाई कर दी
गोर गोर जाट चले
अपनी लाड़ली सुसराल चले
हाथो में तलवार लेकर
मुगलो के बनने जमाई

जाटों ने दिल्ली घेर ली  और बादशाह ने महाराज के पैर पकड़ लिये और बोला मैं तो आप कि गाय हूँ मुझे छोड़ दो महाराजा आप कुछ दिन दिल्ली घूमो महाराज राज़ी हो गये धोखे से रुहेले मुस्लिमो ने सूरजमल को मार  दिया जब यह खबर बादशाह के पास पहुची तो वो बोला जाट को मारा जब जानिए जब 13 वि हो जाये
सैना वापिस लोट गयी रानी किशोरी ने जवाहर सिंह को सन्देश भेजा बाद में जवाहर वीर ने दिल्ली जीती और मुगलो कि ताकत को नष्ट कर दिया अपने राजगुरु के कहने पर दिल्ली कि गद्दी पर नहीं बैठे क्यों उनका मन ना था इस गद्दी से बहुत अत्याचार हुए है

ऐसे हिन्दू वीर सूरजमल को उनके जन्म दिवस पर शत शत नमन

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