अहिबरन तोमर

बुलन्दशहर का प्राचीन नाम बरन था। इसका इतिहास लगभग 1200 वर्ष पुराना है। अन्य ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर यह प्रमाण भी मिलता है कि 'अहार' के तोमर सरदार परमाल ने बुलन्दशहर को बसाया था। पहले यह स्थान 'वनछटी' कहलाता था। पीछे इस नगर को 'ऊँचनगर' कहा जाने लगा, क्योंकि यह एक ऊँचे टीले पर बसा था।बुलंदशहर एक फारसी शब्द है, जिसका अर्थ होता है- ऊंचाई पर स्थित शहर।

इसकी स्थापना अहिबरन तोमर नाम के राजा ने की थी। बुलन्दशहर पर उन्होंने बरन टॉवर की नींव रखी थी। राजा अहिबरन ने एक सुरक्षित किले का भी निर्माण कराया था जिसे ऊपर कोट कहा जाता रहा है इस किले के चारों ओर सुरक्षा के लिए नहर का निर्माण भी था जिसमें इस ऊपर कोट के पास ही बहती हुई काली नदी के जल से इसे भरा जाता था राजा अहिबरन ने इस सुरक्षित परकोटे में अपनी आराध्या कुलदेवी माँ काली के भव्य मंदिर की भी स्थापना की थी।12वीं शताब्दी में बरान साम्राज्य का अंत हो गया। 1192 में मोहम्मद गौरी ने भारत के कुछ हिस्सों सहित बरान किले को भी अपने अधीन कर लिया। बरान पर कई शासकों ने हुकूमत की और अंत में इसे बुलंदशहर के नाम से जाना गया।
बुलंदसहर के आसपास तोमर जाटोंके बहुत से गाव आज भी मौजूद है 

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