शिवदेई तोमर ओर जयदेई तोमर

शिवदेई तोमर ओर जयदेई तोमर


एक जाट वीरांगना जिस ने लखनऊ जाकर अंग्रेज़ ऑफिसर से बड़ौत मे शहीद क्रांतिकारियों कि मौत का बदला लिया

मेरठ की क्रांतिधरा से 10 मई 1857 को ब्रिटिश हुकूमत में शामिल भारतीय सैनिकों के विद्रोह मुखर होते ही हर हिंदुस्तानी सीने में इन्किलाब की लपटें धधक उठीं। प्रथम जंग-ए-आजादी के जौहर में मर्दानियों ने भी न सिर्फ अपने अपने प्राणों की आहुति दी, बल्कि गुलामी की बेड़ियों को काटने के लिए अपनी तलवारें भी खूब चमकायीं। आक्रोश के शान से रणचंड़ी बनीं वीरांगनाओं की तलवारें खूंखार हुईं तो उन्होंने फिरंगियों के लहू से ही अपनी प्यास बुझाई।

प्रथम गदर में क्रांति की मशाल बिजरौल निवासी बाबा शाहमल सिंह तोमर  ने थामी। उन्होंने ब्रितानी हुकूमत की ईंट से ईट बजाकर फिरंगियों के छक्के छुड़ा दिए। 10 मई 1857 को प्रथम जंग-ए-आजादी का बिगुल बजने के बाद बाबा शाहमल सिंह तोमर  ने बड़ौत तहसील पर कब्जा करते हुए आजादी के प्रतीक ध्वज को फहराया। यहां से लूटे धन को दिल्ली के अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को भिजवाया। \
बड़का गांव में 18 जुलाई 1857 को गोरी सेना से आमने-समाने की लड़ाई में बाबा शाहमल शहीद हो गए। जिस के बाद 1857 की क्रांति को दबाने के लिए अंग्रेजों ने बड़ौत की पट्टी चौधरान स्थित मकानों को ध्वस्त कर चबूतरों में तब्दील कर दिया। लोग बेघर हो गए। इससे जनाक्रोश भड़का। उधर, बाबा शाहमल की शहादत के बाद उनका साथ देने वाले 32 जाट क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने एक साथ बिजरौल गांव के बाहर बरगद के पेड़ पर फांसी दे दी।
इस घटना की चश्मदीद रहीं बड़ौत निवासी जाट परिवार की शिवदेई  तोमर का खून खौल उठा। उन्होंने दुश्मन को ललकारा और 17 फिरंगियों को तलवार से मौत के घाट उतार दिया। यहां वीरांगना भी शहीद हो गई।

लखनऊ जाकर लिया बदला
क्रांतिकारियों को सामूहिक फांसी देने वाले अंग्रेज अफसर से क्रुद्ध शिवदेई तोमर की छोटी बहन जयदेई तोमर ने उसे मारने की कसम ली। अंग्रेज अफसर का तबादला लखनऊ हो गया। सर पर कफन बांधे जयदेई पैदल लखनऊ पहुंचीं। महीनों घात लगाने के बाद एक दिन सड़क पर दूरदर्शन भवन की बिल्डिंग में उसे मार गिराया। खुद जयदेई भी शहीद हो गई। इतिहाकारों के अनुसार यह घटना 1858 के पूर्वाद्ध की है।

अज्ञात वीरांगना की याद दिलाता स्मृति स्थल
लखनऊ के लोगों ने इस वीरांगना की शहादतस्थली पर एक पत्थर रखकर स्मृति स्थल बनाया, जिस पर लिखा है-'अज्ञात वीरांगना को समर्पित'। इस घटना का पुख्ता वर्णन लखनऊ गजटीयर में भी है। बाद में इतिहाकारों के शोध में इस अज्ञात वीरांगना की पहचान बड़ौत निवासी जयदेई तोमर के रूप में हुई। इस  शहादतस्थली का चित्र नीचे दिया गया है





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