सन्नी तोमर
सन्नी तोमर का पैतृक गांव किशनपुर बराल जिला बागपत है देश खाप के सपूतो ने वीरता की जो मिसाल पेश की उसको देख कर अच्छे - अच्छे वीरो के पसीने छूट गए ऐसा ही एक शूरवीर है सन्नी तोमर , सन्नी तोमर जाट रेजीमेण्ट का एक सिपाही है जाट रेजीमेंट के सिपाही सन्नी तोमर ने बहादुरी का परिचय देते हुए 22 अगस्त 2008 को कुपवाड़ा सेक्टर में दो आतंकियों को मुठभेड़ में ढेरकर दिया था। सन्नी तोमर को इस बहादुरी के रूप में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने शौर्य चक्र(2009 ) से सम्मानित किया है। शौर्य चक्र सम्मान पाकर सन्नी तोमर शुक्रवार को अपने पैतृक गांव किशनपुर बराल गांव में पहुंचा तो लोगों ने बहादुर सिपाही का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया।
देश की आन के लिए कुर्बानी देने वाले तोमर जाट
शहीद होने वाले जवान पर देश के लाल होते है सौभाग्यशाली होते है वो माता पिता जो ऐसे सपूतो को जन्म देते है नक्सलवाद और आतंकवाद से लड़ते हुए शहीद होने वाले इस देश के शेर बेटो को पूरा देश नमन करता है
शहीद हवलदार यशवीर सिंह
हवलदार यशवीर सिंह तोमर सिरसली सिरसली गाँव जिला बागपत निवासी है उनके पिता का चौधरी गिरबर सिंह है और यशवीर सिंह की धर्मपत्नी का नाम मनेश देवी है उनके दो लड़के उदय सिंह तोमर और पंकज तोमर है उनके भाई हरवीर सिंह तोमर ने भी कारगिल युद्ध में भाग लिया था
यशवीर सिंह जी को कारगिल युद्ध में उनकी वीरता के लिए मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था यसवीरसिंह राजपुताना राइफल्स की 2 यूनिट में थे 113 जून 1999 को कारगिल युद्ध में शहद हो गए थे शहीद होने से पहले ८ जून को अपने पिता गिरवर सिंह जी को एक पत्र लिखा था
तोलोलिंग पहाड़ी को दुश्मन के कब्जे से मुक्त कराने के लिए हवलदार मेजर यशवीर सिंह तोमर अपनी टुकड़ी को लीड करते हुए आगे बढ़ रहे थे। यशवीर सिंह और उनके साथियों ने प्वाइंट 5140 के पास एक दुश्मन पोस्ट पर कब्जा करने की कोशिश कर 17,000 फीट की ऊंचाई पर छह दिनोंतक लड़ाई लड़ी थी . इस लड़ाई में 60 पाकिस्तानी उनके हाथो मारे गए 13 जून की आधी रात को पराक्रम का परिचय देते हुए हवलदार मेजर यशवीर सिंह ने दुश्मन के दो बंकरों को ग्रेनेड से नेस्तनाबूद कर दिया। एक-एक कर 18 गोले दुश्मनों पर भारी पड़े। दुश्मनों को चित होता देख हौसला और बढ़ा। उन्होंने उनके तीसरे बंकर को निशाना बनाया। ये आक्रमण करते तभी घात लगाए दुश्मनों ने इस जांबाज पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई। लेकिन इस मिशन में उनके कुल तीन गोलियां लगी एक बाईं बांह और दूसरी सीने में यशवीर सिंह देश की आन की खातिर अपने पांच अन्य साथियो के साथ शहीद हो गए
शहीद नकुल सिंह तोमर
नकुल सिंह तोमर मुज़फ्फरनगर जिले के मखयाली गाँव के रहने वाले थे । निकुल तोमर के पिता बरिहम सिंह का कहना है की उन्हें अपने बेटे की शहादत का इसलिए दुख है क्योंकि वह आठ बहनों का इकलौते भाई थे। इस बात की ख़ुशी भी है की उनका एकलौता बेटा देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया।शहीद निकुल तोमर आठ बहनों के इकलौते भाई थे।22 वर्ष के निकुल तोमर तीन वर्ष पहले थल सेना में ईएमआई रेजिमेंट में सैनिक के पद पर भर्ती हुए थे। अपने अचूक निशाने व बहादुरी के कारण वह सदा आतंकवादियों से लोहा लेने में आगे रहते थे। लेकिननवम्बर 2010 रविवार की रात रात जम्मू कश्मीर के नौशारा क्षेत्र में घात लगाए बैठे आतंकवादियों के साथ हुए मुकाबले में निकुल तोमर देश के काम आ गए।
शहीद अजेन्द्र तोमर
शहीद अजेन्द्र सिंह तोमर बागपत जिले के बिजवाड़ा गाव के निवासी थे उनके पिता का नाम श्योराज( स्वराज ) सिंह तोमर है बचपन से देश भक्ति की भावना उनके मान में थी बागपत क्षेत्र देश भक्ति की मिसाल है 1857 का युद्ध हो या वर्तमान समय में इस देश क्षेत्र के लालो ने अपने प्राणो की कुर्बानी दे मातृ भूमि की रक्षा की हैशहीद अजेन्द्र तोमर 56ए जाट बटालियन में थे दिसम्बर 2012 को राजौरी बार्डर पर गोलाबारी के दौरान अजेन्द्र शहीद हो गए थे।शहीद अजेन्द्र सिंह तोमर की प्रतिमा का अनावरण मथुरा सांसद जयंत चौधरी दुवारा किया गया था
ऐ शहीदों आज भी आकाश में चांद सूरज बनके ताबिंदा हो तुम, कौन कहता है तुम्हें मौत आ गई देश के इतिहास में जिंदा हो तुम।
शहीद सोरन सिंह
सोरन सिंह कुंतल कारगिल युद्ध मेंशहीद होने वाले एक जवान थे वो उम्मेद की नगरिया जिला मथुरा के रहने वाले थे सोरन सिंह जाट रेजिमेंट की 04 यूनिट में तैनात थे । कारगिल में दुश्मनो से लोहा लेते हुए वो 21 जून 1999 को शहीद हो गए थेशहीद सुबोध कुमार तोमर बुढ़पुर
शहीद सुबोध कुमार तोमर बागपत जिले के बुढ़पुर गाव के निवासी थे वो जाट रेजिमेंट की यूनिट 21 में तैनात थे । कारगिल में दुश्मन को धूल चटा ते हुए वो 18 जून 1999 को वीर गति को प्राप्त हो गएअनिल कुमार तोमर
शहीद अनिल कुमार तोमर बागपत जिले के बावली निवासी थे उनके पिता सुल्तान सिंह भी एक रिटायर्ड फौजी है शहद अनिल तोमर की पत्नी सविता देवी ने भी पति के चले जाने के बाद अपने सुसराल को संभालने में कोई कसार नहीं छोड़ी अनिल तोमर 17वीं जाट बटालियन में तैनात थे। कारगिल युद्ध में जवान अनिल तोमर पाक घुसपैठियों से लगातार लड़ते रहे। सात जुलाई 1999 को वे लड़ते-लड़ते घुसपैठियों की गोली लगने से शहीद हो गए थे।
शहीद देवेन्द्र सिंह तोमर
शहीद देवेन्द्र सिंह तोमर बागपत जिले के सूप गाव के निवासी यहे इनके पिता का माँ सहदेव सिंह तोमर है बेटे की शहादत के बाद से माँ ब्रह्मकाशी बीमारी रहने लगी और और उनका स्वर्गवास हो गया । शहीद देवेन्द्र सिंह तोमर 1976 में जाट रेजीमेंट में सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था। कारगिल युद्ध के दौरान 27 सितंबर 2001 को देवेंद्र ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे।शहीद लालसिंह तोमर
शहीद लाल सिंह निवासी अबैरनी ग्राम पंचायत के गांव नगला उदय सिंह राम नगरिया। वह बंगलादेश बार्डर पर फरवरी 2013 की सोमवार रात्रि तस्करों का पीछा करते हुए नदी में गिरकर शहीद हो गए थे। इस दौरान बीएसएफ दिल्ली की 25वीं बटालियन के जवानों ने शव को सशस्त्र सलामी दी। मुखाग्नि शहीद सैनिक के बड़े पुत्र चंद्रवीर ने दी।
लाल सिंह (45) पुत्र फौरन सिंह बीएसएफ में पश्चिमी बंगाल में बार्डर पर सैनिक पद पर तैनात थे। फोर्स के एसआई जेपी सिंह चौहान के अनुसार सोमवार की रात्रि लाल सिंह अपने पांच-छह साथियों के साथ बार्डर के समीप तस्करों का पीछा कर रहे थे। इस दौरान अचानक ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे उनका पैर फिसल गया और वह नदी में गिर गए। सूचना पर अन्य सैनिकों ने नदी में जाल डाल कर उन्हें निकाला, तब वह शहीद हो चुके थे। घटना की सूचना प्रात: घर वालों को दी गई। सूचना पर पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। शहीद के परिजन डा. नरेंद्र तोमर ने बताया कि लाल सिंह की सर्विस 1990 में लगी थी उनकी पत्नी सुनीता देवी व दो पुत्र चंद्रवीर सिंह (25), सोनू (17) और एक लड़की तोषी है।
राकेश तोमर
दन्तेवाड़ा में नक्सलियों से लड़ते हुए अपने प्राण गंवा देने वाले सिरसली के राकेश तोमर भी उन्ही वीरो में से एक थाशहीद सिपाही मनोहर तोमर
भट्टा-पारसौल में 7 मई 2011 को किसानों और पुलिस के बीच खूनी संघर्ष हो गया था। किसानों की गोली से सिपाही मनोहर तोमर शहीद हो गए थे। मनोहर सिंह तोमर बागपत के रहने वाले थे
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