गोरड गाव

गोरड  गाव
गोरड गाव सोनीपत जिले की खरखौदा तहसील में आता है यह तोमर जाटों का इतिहासिक गाँव है । प्राचीन समय में समचना और गोरड गाव से तोमर देश क्षेत्र में जाकर बसे थे । कुछ तोमर रोहिलखण्ड में बसे उनको समचानिया तोमर और गोरडिया तोमर बोलते है । आज जो तोमर इस गाँव में बसे हुए है वो बागपत जिले के जोहड़ी गाव से आकर बसेहै  जब यहाँ तोमर आकर बसे  ही थे उनका दहिया गोत्र के जाटों से बसने की बात  पर मनमुटाव हो गया । बात मरने मारने पर आगयी । तोमरो को यहां से उजाड देने के लिए दहिया खाप (40 गाव )  तत्पर हो उठी । तब यहां के तोमर यमुना पार के तोमर खाप 84 के बड़ौत मुख्यालय पर गए । तोमरो की चौरासी ने भी दहिया खाप को चेतावनी देते हुए कहा यदि वो नहीं माने  तो देश खाप  उनपर हमला कर देगी इसके बाद मलिक जाटों की मध्यस्ता से बात बनी  और तोमर जाट यही पर बस गए
गोरड  गाँव में यहाँ प्राचीन काल के समय में जब जंगल ही जंगल होता था। तबयहाँ से गुजरने के दोरान कुछ समय के लिए महायोगी गुरु गोरखनाथ ने धुना स्थापित किया और यहाँ पर तपस्या की। अब भी वर्षों का समय गुजर जाने के बावजूद भी अध्यात्मिक गुरु गोरखनाथ का प्राचीन धुनागोरड गाँव में मोजूद है। गुरु गोरखनाथ की महिमा से धीरे-धीरे जंगल के स्थान पर गाँव बस गया है जिसका नाम गुरु गोरखनाथ के नाम पर ही गोरड रखा गया।


















 इस प्राचीन स्थान पर तब से लेकर अब तक यहाँ अनेक साधू संतों ने तपस्या कर समाधी ली। यहाँ पर भगवान् शिव का मंदिर है जिसमें भगवान् शिव की इकतीस फुट ऊँची स्थापित है। पास में ही प्राचीन तालाब व् प्राचीन कुआँ मोजूद है। जिसके जल को शर्दालू परसाद के रूप में आज भी ग्रहन करते हैं। इस प्राचीन स्थान पर वर्ष में एक बार फागुन की नोवी पर मेला लगता है। अब इस स्थान को योगी बाबाभोलादास पुजारी के तोर पर संभाल रहे हैं।

 गोरङ मे दादा गीहल(घील ) की मान्यता है।प्रत्येक साल की  बसंत पंचमी को दादा घील (गीहल)   के नाम पर मेला का आयोजन होता है ।





 तालाब के पास ही गोरड़ा गाव में एक  भगवन शिव का मंदिर  है  भगवन शिव की 31 फीट  उच्ची मूर्ति है । फागुन पञ्चमी को यह एक मेले का आयोजन होता है


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