देश खाप


देश खाप के तोमर जाटों का एक इतिहास है:-


बागपत क्षेत्र में तोमर गोत्र के 84 हैं तोमर खाप इस क्षेत्र में देश खाप के रूप में जानी जाती है आज देश खाप के अंदर 135 ग्राम आते है देशखाप के जाटों का मूल गोत्र तोमर ही है बाद में महाराज सलकपाल देव सिंह तोमर के नाम पर उप गोत्र सलकलान पड़ा जिसको सलकलान तोमर बोलते है इस देश क्षेत्र के ही बावली गाव से जाकर तोमर जाट बहुत समय पहले बिजनौर जिले में बसे तो वो तोमर जाट अपनी मूल पट्टी और कल्याण सिंह तोमर के नाम पर कपड़े तोमर कहे जाने लगे बाघपत जिले के तोमर जाट हरयाणा के 7 गावो में निवास करते है जिनको सुलखलान तोमर बोलते है जो सलकलान का हरयाणवी भाषा में बिगाड़ा रूप है

तोमर गोत्र को दिल्ली के राजा सलअक्शपाल तोमर के नाम पर ही सलकलान कहते है इनकी खाप को देश खाप कहते जिसको दो कारन से देश खाप कहते है एक तो यह की सलअक्शपाल राजा के पुत्र देशपाल इस खाप के मुखिया थे । इनके नाम पर ही इस खाप का नाम देश खाप पड़ा है दूसरा यह खाप बहुत अधिक क्षेत्र में है इस क्षेत्र को देश जाना जाता है इसलिए हीयहाँ के तोमरो को देशवाले(यानि देश के मालिक ) भी कहते है देश खाप कभी गुलाम नहीं रही किसी गैर राजा के अधीन नहीं रही |

देश खाप का प्राचीन इतिहास

976 ई. में सलअक्शपाल तोमर दिल्ली (इंद्रप्रस्थ) के सिंहासन पर सत्तारूढ़ थे| उन्होंने 25 साल 10 महीने के लिए शासन किया| अपने भाई जयपाल के लिए 1005 में दिल्ली का राज सिहांसन छोड़ कर समचना(रोहतक ) चले गये 1005 ई. में सलअक्शपाल ने समचना (आधुनिक रोहतक) को बसाया और फिर कुछ समय के बाद में अपने भाई जयपाल तोमर के अनुरोध पर यमुना नदी को पार किया और कृष्णा और यमुना के बीच में आधुनिक देश खाप कि स्थापना कर एक नई न्याय व्यवस्था कायम कि जिसको आज चौधराठ कहते है इस चौधराठ का प्रधान केंद्र पहले किशनपुर बराल था बाद में यह केंद्र बड़ौत कि चौधराणा पट्टी में स्थापित हो गया महाराज सलकपाल देव सिंह तोमर के 7 लड़के थे जिनका नाम रामपाल तोमर ,महिपाल तोमर ,कृष्णपाल तोमर ,शहोपाल तोमर (श्योपाल ) ,देशपाल तोमर ,हरिपाल तोमर ,चंद्रपाल तोमर था इन साथ लड़को ने 7 चौधराठ शुरू की थी सलअक्शपाल का सबसे छोटा बेटा देशपाल था जिसकी गतिविधि का केंद्र बडौत में था ज्येष्ठ पुत्र राव महिपाल जिसकी गतिविधि का केंद्र में बावली था और मध्य बेटा राव कृष्णपाल था जिसकी गतिविधि का केंद्र बिराल में था।

जब राजा सलअक्शपाल तोमर इस क्षेत्र में आया था उसे के साथ 500 योद्धा थे जिनमें से 405 तोमर गोत्र के जाट थे, और बाकी दूसरे समुदायों से थे |उसके कुछ ही समय बाद ही मोहम्मंद गज़नी के भारत पर आक्रमण शुरु हो गये । मोहम्मंद गज़नी का अंतिम आक्रमण 1027 में खोकर जाटो पर था | सलअक्शपाल ने चौधरथ का समाज शुरू किया था उन्होंने इस क्षेत्र में 14 गांवों के प्रत्येक छह में चौधराठ शुरू कर दिया था

उन्होंने कुल 6 गाँव की चौधरत शुरू की , प्रत्येक चौधरत में 14 गाँव थे| इस तरह 84 की चौधरत शुरु हुई और इस को चौरासी (84)के कुल और चौरासी की चौधरत ( या 84 के रूप) में जाना गया था. पहले एक गांव पर चौधरी का चयन किया गया था, और फिर 14 गांवों और अंत में प्रत्येक समुदाय के चौधरी (बिरादरी) 84 ग्राम स्तर पर उनके चौधरी को चुना है. बाद में 6 गाँव की चौधराठ व्यवस्था की जगह 7 गाँव की चौधराठ ने ले ली जिसको थांबें खाप बोला जाता है हर थांबें खाप के अंदर 12 गाव आते है जबकी दूसरी खापो के थांबे खाप में एक थाम्बे खाप के अंदर 7 गाव आते है
•उन्हें चौधरी कहा जाता था, जिन्होंने अपने लोगों की सेवा का काम ले लिया था और लगातार ऐसा करने के लिए तैयार था इसे ही जाट चौधरी जनपद कहा जाता है.
•इस जनपद को इस समय में सलकरान जनपद बुलाया गया था. इस गणराज्य को बाद में "देश" के रूप में जाने लगा जो आज भी है यदि वास्तव में वहाँ एक देश है तो यह तोमर (सलकरान) देश खाप का है.
" चौधराठ ”.गणराज्यों की व्यवस्था के रूप में अस्तित्व में था जहां एक गोत्र के सदस्य एक कबीले में एक साथ रहते थे और सम्राट के साथ अपने रिश्तों को बनाए रखते थे | इस तेजी से विकास में प्रत्येक कबीले में अपने स्वयं के खाप विकसित होते चले गए.चौधराठ में संघर्ष को पंचायत या पांच साल की परिषद के माध्यम से निपटाते थे.यह परिषद और इसका मुखिया चौधरी आपसी सहमति से चुना जाता था
देशखाप का प्राचीन मुख्यालय किशनपुर बिराल गाँव में था इस गाँव में ही न्याय किया जाता था सलकपाल देव ने इस गाँव में न्याय जंजीर स्थापित की बाद में यह मुख्यालय बड़ौत में स्थापित हुआ

तोमर देश खाप के 84 गांवों में सबसे पहले चौधराठ (CHAUDHRAT):-
1. बडौत में 14 गांवों की पहली चौधरत चौधरी रामपाल तोमर ने आयोजित की
2. बावली में 14 गांवों की पहली चौधराठ चौधरी राव महिपाल तोमर ने आयोजित की
3. किसानपुर (किशनपुर) बिराल में 14 गांवों की पहली चौधराठ कृष्णपाल तोमर ने आयोजित की
4. बिजरौल में 14 गांवों की पहली चौधराठ चौधरी चंद्रपाल तोमर ने आयोजित की
5. बामडौली में 14 गांवों की पहली चौधराठ चौधरी हरिपाल तोमर ने आयोजित की
6. हिलवाड़ी में 14 गांवों की पहली चौधराठ चौधरी शाहोपाल (शाहपाल ) तोमर ने आयोजित की

पहली चौधरत शाहपुर बडहोली के 14 गांवों में स्थापित किए गए थे जो की कोइल (अलीगढ) में थे यहा पर सलाकपाल तोमरो के 14 गाँव है जिनको सलकयान तोमर (काढिर ) कहा जाता था बाद में युद्ध काल में यह गॉव विलुप्त हो गये और अलीगढ जिले में ही बस गए जो अब सिर्फ तोमर ही लिखते है कुछ को आज तक याद है जैसे सिमरौटी गाव के तोमर बाघपत जिले के बुढ़पुर गाव से जाकर बसें है बाद में बूढ़पुर को पट्टी महर के लोगो ने बसाया था परन्तु अलीगढ जिले में आज तोमर जाटों के 28 गॉव और एक रियासत है जो बाद में पलवल के पास पृथला गॉव से आकर आबाद हुए है

इस ही समय में सुखपाल तोमर ने बखेना (अब बिजनौर) में राजधानी की स्थापना की और स्थापित राजधानी में देश चौधरत के मुरादाबाद में शादीपुर,ग्वारु में, जिला मुजफ्फरनगर, के गांवों में हैदरनगर, कृष्णापुर, वेंनपुर, और शाहपुर भी इस चौधरत में आते हैं और नगला भाईया भी चौधरी सलकपाल द्वारा स्थापित किए गए गॉव है

एक महान जाट योद्धा गोपालपुर खनडाना से बुंदेलखंड चला गया और वहाँ बसकर सलकरान चौधरत शुरू की व बाद में एक राजपूत महिला से शादी करली और वो राजपूत जागीर सिवपुर का राजा बन गया और राजपूत समुदाय में शामिल हो गए. बुंदेलखंड में तोमर ( सलकलायन ) राजपूत है

देश खाप की सात थांबें
ये थांबें देशखाप के अधीन काम करती हैं।
थांबा चौधरी
1. बावली जयपाल सिंह
2. किशनपुर बराल अशोक सिंह
3. बामनौली देवेन्द्र सिंह
4. बिजरौल यशपाल सिंह
5. पट्टी मेहर अलबेल सिंह
6. पट्टी बारू इलियास सिंह
7. हिलवाड़ी ओमवीर सिंह

2003 में बावली गांव में देश खाप ने सर्व खाप पंचायत बुलाई थी, जिसमें यूपी के अलावा हरियाणा व राजस्थान की 25 खाप के चौधरियों ने भाग लिया था।इस से पहले सन ११९७ ई. में राजा भीम देव तोमर (देश के राजा ) की अध्यक्षता में बावली बडौत के बीच विशाल बणी में सर्वखाप पंचायत की बैठक हुई थी जिसमें बादशाह द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने तथा फसल न होने पर पशुओं को हांक ले जाने के फरमानों का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए ठोस कार्रवाई करने पर विचार किया गया. इस पंचायत में करीब १००००० लोगों ने भाग लिया. पंचायती फैसले के अनुसार सर्वखाप की मल्ल सेना ने शाही सेना को घेर कर हथियार छीन लिए और दिल्ली पर चढाई करने का एलान किया. बादशाह ने घबराकर दोनों फरमान वापिस लेकर पंचायत से समझौता कर लिया

श्री सुखबीर सिंह के निधन के बाद उनके बड़े पुत्र श्री सुरेन्द्र सिंह को इस देश खाप के चौधरी के रूप में मनोनीत किया गया है देश खाप का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है। आज भी खाप पूरी तरह से वजूद में हैं और खाप के फैसलों की आज भी मान्यता है।
देश खाप के चौधरी सुरेन्द्र सिंह बताते हैं कि 84 गांवों को मिलाकर देश खाप बनाई गयी थी। खाप के चौधरी समय-समय पर बदलते रहे, लेकिन खाप के उद्देश्य वही रहे।

1857 में देश खाप के चौधरी श्योसिंह स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हो गए थे।1857 में ही इस खाप के बाबा शाहमल ने देश के लिए अपनी कुर्बानी दी
उसके बाद गोविंद सिंह, हरवंश सिंह व सुखबीर सिंह ने देश खाप की कमान संभाली। खाप की कमान अब चौ. सुरेंद्र सिंह के हाथ में है। चौ. बताते हैं, खाप ने समय-समय पर लोगों को जागरूक कर आगे बढ़ाने का कार्य करती चली आ रही है।

देश खाप के गाँवो की सूची

देश खाप के अंदर प्राचीन समय में 84 गाँव आते थे जो अब बढ़कर 135 हो गए है बावली और उसके आसपास के गाव से जाकर मुरादाबाद में 14 बसाये है बाघपत जिले के तोमरो ने कुल 7 ग्राम हरयाणा में बसाये है हलाकि हरयाणा में तोमर (तंवर ) जाटों के बहुतसे गाव है पर देश खाप के तोमरो के 7 गाव है बाघपत जिले के जोहड़ी गाँव के तोमर जाटों ने सोनीपत में गोरड(गोरद ) गाव बसाया था जिनको गोरदिया तोमर भी बोला जाता है ,मोर खेड़ी (रोहतक ) को जोनमाना गाव के तोमरो ने बसाया है तो गुढान और दुवारिका को अंगदपुर और जोहड़ी के तोमरो ने

तोमर गोत्र के देश खाप के 84 गांवों की सूची:-
1 आदमपुर 2 आमवाली 3 अलावलपुर 4 अमलापुर 5 अन्छाड(रंछाड़ ), 6 औरंगाबाद जाटोली, 7 असर्फाबाद 8 बड़ाका 9 शाहपुर बडोली 10 बाजीतपुर, 11 बामखेड़ी या बामणखेड़ी,12बामनौली/बामडौली 13बरनावा 14 बडौत -देश खाप की राजधानी 15 पट्टी बारु 16 बावली 17 बिहारी, 18 बिजरौल, 19बिजवाड़ा 20 बिराल 21 बोहाला 22 बुद्धपुर 23 बरवाला 24 चारजखेड़ा 25 चोभळी 26चीलोरा 27 ढिकाणा 28फतेहपुर, 29 गढ़ी-अंछड़ 30 गौरीपुर 31 गुगाखेड़ी 32 गुराना, 33 हैदरनगर 34 हारा, 35 हिलवाड़ी 36 ईदरसपुर, 37 जलालपुर 38पट्टी मेहर , 39 जीमाना- जीमानी 40 जीमानी 40 जोहाडी, , 41 जोनमाना 42 कैड़ावा 43काम्बाला/कम्बला44 कंडेरा 45 कानगुरा की गढ़ी 46 करीमपुर, 47 कासिमपुर,, 48 खडाना, 49 खड़खड़ी 50 खेड़की
51 कासिमपुर खेड़ी 52 खेड़ी 53 खिवाई 54 किशनपुर ( किसानपुर बिराल ) 55 खूटाना 56 लढावङी 57 लोहद्दा 58 लोन 59 मक्खङ 60 मलकपुर 61 मांगडोली 62 माज़रा, 63 नसौली 64 पीपलसाना, 65 नीरोजपुर, 66 नुवादा 67 ओढपुर, 68पूसर, 69 पूठ (पूटथी) 70 रहेटना 71 भराला 72 शिकोहपुर, 73सिक्का, 74 सिरसलगढ़, 75 सिरसली 76सिसाणा 77 सोंटी 78सूप 79 ठसका(थास्का) 80 तोहडी 81माहावतपुर 82रुस्तमपुर 83 छतरपुर 84बेगमाबाद गढ़ी

और कुछ गाव जो देश खाप के अंदर आते है अब
85 झिंझारपुर ,86 जिठौली
मुरादाबाद के 14 गाव के तोमरो के कहने पर जो वह देश खाप से जाकर बसे अब वो देश खाप में माने जाते है
87 ग्वारु 88 सदरपुर 89 शादीपुर 90कासमपुर 91अन्जेरा 92 दयानाथपुरा 93कोकरपूर 94 धरमपुर 95 कुचावली 96 फूलपुर 97 महेशपूर 98 फत्तनपुर

हरयाणा में जो 7 गाव बाघपत से जाकर बसे है अब इन सात गावो से और भी गाव बसे गए है उनके चौधरीओ की एक मीटिंग देशखाप के चौधरी के साथ हुई और वो देश खाप के अंदर माने जाने लगे क्युकी वो मूल से देश खाप के तोमर थे लेकिन इनमे से अधिकास गाँव हरयाणा की अलग अलग खापो में है जैसे मातनहेल गाव नोगांवा खाप में है हरयाणा पर यह देश खाप में भी है
99 गुढान (रोहतक )100मोरखेड़ी (रोहतक ) 101गोरद (सोनीपत ) 102मातनहेल (झज्जर )103छोटी गुढान (भिवानी) 104 द्वारका (भिवानी ) 105 नयागाँव (रेवाड़ी ) 106 बडी बाह (रोहतक ) 107 बखेता (रोहतक ) 108 ढ़राणा(झज्जर )109 बरडू चैना (भिवानी ) 110 जजवन ( जींद )111हथवाला (जींद )

नोट:- इतिहासिक रूप से तोमर तंवर एक ही गोत्र है जिसको पंजाबी भाषा में तूर बोलतेहै खुद बीकानेर की राजवंश के रिकॉर्ड में सलकपाल तोमर का नाम रावलु सलकपाल तंवरलिखा है इसी तरह अनंगपाल राजा को भी कही तोमर और तंवर लिखा है सुनहेड़ा के तुशीर जाट गलत रूप से तंवर लिखते है वो तुशीर गोत्र है इशी तरह जावला जाट भी अलग गोत्र है और उन में हमारी शादी होती है

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