गोपीवाला ( एक प्राचीन स्थल ) और बावली (बाहुबली )
 देश क्षेत्र अधिक पवन  पवित्र रहा है । नहुष के अधिकांश यज्ञ इसी क्षेत्र में हुए है इंद्रा के प्रयास से खंड व् प्रस्थ विंध्वंश के बाद इंद्रप्रस्थ बसा उस से पहले देवी देवताओ के लिए यह रमणीय स्थल रहा है वीर विक्रमादित्य की न्याय पीठ किशनपुर बराल में है जो आज बारादरी के रूप में आज भी मौजूद है
गोपीवाल बावली गाव में एक प्राचीन बनी (वन क्षेत्र ) है जिसकी स्थापना दिल्ली नरेश और महाराजा सलकपाल सिंह तोमर के पिताजी महाराजा गोपालदेव ने की थी
इस के पास ही मार्कण्डय तीर्थ मलकपुर लॉयन में। बसोली (नसोली ) ,बरवाला में वाराही तीर्थ ,शिकोहपुर में सोम तीर्थ,श्री तीर्थ सिरसली ,विल्केशवर तीर्थ बढ़पुर किसनपुर बराल में कपाल तीर्थ ,बिजरोल में ब्रह्म तीर्थ बामड़ोली में वसुंधरा तीर्थ  था आज के समय में यह नष्ट प्रायः हो चुके है
बामड़ोली को उस समय ज्ञानडोली बोलते थे ।
गोपी वाला क्षेत्र का नाम गोपाल देव के नाम पर है यह क्षेत्र बावली ग्राम में है । प्राचीन  काल में गोपीवाला ध्यानी  ,सत्संगी , विद्धवान लोगो के निवास के रूप में विख्यात  थी यह पेड़ो की कटाई पर उस समय रोक थी ऐसी मान्यता थी इसके पेड़ काटने वाले का कभी भला नहीं हुआ । पहले यह एक गुफा थी जो बहुत सकरी थी जिसको गर्भवास बोलते थे । यह प्राचीन समय में सिद्ध और नाथ सम्प्रदाय का बसेरा रहा है अब यह गिर सम्प्रदाय का निवास है 1857 में क्रांतिकारियों का  स्थल यह क्षेत्र रहा है । पंचायत क  प्रस्ताव से सरकार दुबारा अब यह मत्स्य पालन कर के इसकी पवित्रता को नष्ट कर दिया है

बावली गर्म क प्राचीन नाम  बाहुवली था जो अब बिगड़ कर बावली बन गया यह हु शब्द विलुप्त हो कर आज यह बावली के रूप में प्रसिध्द है ,लेखक दिलीप सिंह अहलावत और बीएस ढिल्लों ने बावली को भारत का सबसे बड़ा गाँव माना है । बावली गाव पर सलकपाल सिंह तोमर के पुत्र महिपाल की चौधर रही है ,बावली गाव की महिपाल के तीन बेटे बाहुबली सिंह ने बावली  ,महावत सिंह ने महावतपुर , रुस्तम सिंह ने रुस्तमपुर  को  बसाया था तीनो के नाम पर तीन गाव बावली ,रुस्तमपुर, महावतपुर  बसे  हुए है । इनके पिता की चौधर में 14 गाव थे । जाटोली गाव के तोमर एक साथ सामूहिक रूप से बिजनौर में चले जाने के बाद यह क्षेत्र बवाली गाव में सम्मलित कर लिया गया  बहुत से गावो का निकास बावली गाव से है जैसे बिजनौर के कपड़े तोमरो के गाव हो या मुरादाबाद के 14 गाव के तोमरो के हो


बावली गाँव में संवत 1560 के आस -पास सर्व खाप पंचायत भी हुई थी बावली में 7 पट्टी है ।
मुख्य पट्टी
1 देशो की
2 मोल्लो की
3 गोपी की
4 राणो की
5 कट्कड़ की
6 खुब्बो की
मुख्य पट्टी है बावली गाँव में ही समय में तीन प्रधान होते है ।राणो की पट्टी में तोमर गोत्र के जाट है । राणा टाइटल लिखते है । सन ११९७ ई. में राजा भीम देव की अध्यक्षता में बावली बडौत के बीच विशाल बणी में सर्वखाप पंचायत की बैठक हुई थी जिसमें बादशाह द्वारा हिन्दुओं पर जजिया कर लगाने तथा फसल न होने पर पशुओं को हांक ले जाने के फरमानों का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए ठोस कार्रवाई करने पर विचार किया गया. इस पंचायत में करीब १००००० लोगों ने भाग लिया. पंचायती फैसले के अनुसार सर्वखाप की मल्ल सेना ने शाही सेना को घेर कर हथियार छीन लिए और दिल्ली पर चढाई करने का एलान किया. बादशाह ने घबराकर दोनों फरमान वापिस लेकर पंचायत से समझौता कर लिया  बावली गाव में गोपी की पट्टी में  एक शहीद स्मारक भी है। बावली गाव ने देश को बहुत बड़े बड़े ऑफिसर दिए कारगिल युद्ध में भी बावली इ अनिल तोमर की शहादत हुई , वर्षा तोमर शूटर बावली की है

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