shooter

शूटर रूबी तोमर


जोहड़ी गांव की वयोवृद्ध शूटर प्रकाशी तोमर की पोती रूबी तोमर निशानेबाजी के दम पर अपना लोहा मनवा चुकी है। रूबी तोमर नेशनल लेवल पर दस गोल्ड, 12 रजत व 7 कांस्य पदक जीत चुकी है। 2011वर्ष चीन में हुई विश्व यूनिवर्सिटी शूटिंग चैम्पियनशिप के एयर पिस्टल स्पर्धा में रूबी ने स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया।
इन्हीं उपलब्धियों से खुश होकर पंजाब पुलिस के डीआईजी स्पो‌र्ट्स राजन गुप्ता ने  रूबी को पंजाब पुलिस में एसआई के पद के लिए नियुक्ति पत्र भेजा। दादी प्रकाशी तोमर ने बताया कि रूबी ने 23 मार्च 2012 को जालंधर जाकर ड्यूटी ज्वाइन कर ली है। एक अप्रैल से उसकी ट्रेनिंग शुरू हो जाएगी। रूबी के पंजाब पुलिस में सब इंस्पेक्टर बनने पर परिजनों व ग्रामीणों में खुशी की लहर है।
अंतरराष्ट्रीय शूटर अनु तोमर



जयपुर में 29 मार्च से 2 अप्रैल 2012  तक ऑल इंडिया रेलवे शूटिंग चैंपियनशिप आयोजित की जा रही है। इसमें 16 रेलवे लॉन के शूटर निशाना साध रहे हैं। शहर की अंतरराष्ट्रीय शूटर अनु तोमर ने वेस्टर्न रेलवे की ओर से निशाना लगाते हुए तीन पदकों पर कब्जा जमाया। अनु ने एयर राइफल की 50 मीटर प्रोन पोजीशन टीम वर्ग में 600 में से 586 अंक और 50 मीटर थ्री पोजीशन टीम वर्ग में 1700 में से 1650 अंक हासिल कर स्वर्ण पदक जीते और महाराजा बनारस ट्राफी पर कब्जा किया। व्यक्तिगत 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में 400 में से 392 अंक हासिल कर रजत पदक जीता।


और कुछ शूटर 
वर्षा तोमर ,सीमा तोमर , चन्द्रो तोमर,   को सर्च कारण है

प्रकाशो देवी



प्रकाशो देवी तोमर  उत्तर प्रदेश के बाघपत जिले कि जोहड़ी गाव कि एक जाटनी है प्रकाशो देवी ,चन्द्रो देवी कि रिश्ते में देवरानी है प्रकाशो तोमर के चार बेटों और बेटियों है उनकी बेटी सीमा तोमर और पोती रूबी तोमर अंतरराष्ट्रीय शूटर हैं।


पहली नजर में, हट्टी-कट्टी प्रकाशो हर जगह मौजूद दूसरी अन्य बूढ़ी दादियों की तरह किसी भी तरह से अलग नहीं दिखतीं। लेकिन जब वह आपको घूर कर देखेंगी तब पता चलेगा कि वह कोई साधारण महिला नहीं है।[प्रकाशो देवी के अनुसार  जब प्रकाशो तोमर ने निशानेबाज़ी सीखना शुरू किया तो गाँव में मेरा बहुत मज़ाक उड़ाया गया| कोई कहता कि बुढ़िया ने नवाबों के शौक पाल लिए है, तो कोई कहता, बंदूक उठा ही ली है तो कारगिल चली जा
यह बताते हुए उनके चेहरे पर मुस्कान उभर आती है कि कैसे एक बार जब उन्होंने एक निशानेबाजी प्रतियोगिता में पुरुषों को हरा दिया, तो हारे हुए अधिकांश पुरुषों ने उनके साथ तस्वीरें खिंचवाने से मना कर दिया।



चेन्नई में वेटरं चैंपियनशिप के दौरान उपविजेता ने विजेता प्रकाशो तोमर के साथ मंच साझा करने से शर्म के मारे   इनकार कर दिया जब उन्होंनेचेन्नई व दिल्ली में मेडल जीते तो पुरुष निशानेबाजों ने मेडल लेने के लिए मेरे साथ मंच पर खड़े होने से इंकार कर दिया था। क्योंकि उन्हें एक बूढ़ी औरत के साथ मंच पर शर्म महसूस हो रही थी।
प्रतियोगिताओं में प्रकाशो का पहला और सबसे यादगार लम्हा था – जब दिल्ली पुलिस के एक पुलिस उप-महानिरीक्षक (डीआईजी) गांव की इस महिला से हारने पर इतने शर्मिंदा हुए कि उन्होंने पुरस्कार वितरण समारोह का इंतजार भी नहीं किया और वहां से चले गये।




पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में लोग अक्सर बंदूकों का इस्तेमाल आपसी विवादों को सुलझाने के लिये करते हैं और इस क्षेत्र में पुरुषों को बंदूकों के साथ घमंड में चूर होकर चलते देखना आम बात है। 75  वर्षीय शार्प शूटर इस जाट दादी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बंदूकधारी पुरुषों के चेहरों को न सिर्फ शर्म से लाल कर दिया, बल्कि इससे भी आगे बढ़कर उन्होंने अपनी उम्र के तीसरे पड़ाव में युवा लड़कियों को बाहरी दुनिया में बेधड़क हो कर सामने आने के लिये प्रेरणा दी है।

निशानेबाज़ी और बंदूक वाली दादी
प्रकाशो तोमर (70)को यह शौक बचपन में नही बल्कि बुढ़ापे में लगा उनका कहना है कि ‘‘जब मैंने बंदूक उठाई तो मुझमें अपार साहस और आत्मविश्वास आ गया’’। उनके इसी आत्मविश्वास का असर उस क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं पर भी हुआ है। प्रकाशो उनके लिये रोल-मॉडल बन गयी।
प्रकाशो कुछ समय बिताने के लिये अपने पोते को लेकर जौहरी के बेसिक शूटिंग रेंज गयी थीं। वहां उन्होंने जिज्ञासावश एक बंदूक उठाई और कुछ गोलियां चलाईं, उस वक्त भी उनमें से लगभग सभी निशाने पर लगीं। उसके कोच राजपाल सिंह कहते हैं ‘वह सहज थीं’ और उस दिन से बंदूकें उनकी दिनचर्या में शामिल हो गयीं।
वह प्रतिदिन शूटिंग रेंज में अपने पोते को लेकर आती हैं और जैसे उनका पोता अभ्यास करता है वैसे ही दादी भी करती हैं। नियमित अभ्यास ने प्रकाशो को निशानेबाजी में प्रवीण बना दिया और अगले कुछ महीनों में जब तक वह पूरी तरह से निशानेबाजी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के प्रति आश्वस्त हुईं, वह अचूक निशानेबाज बन चुकी थीं।

पदक

प्रकाशो दादी ने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है और करीब 200 मेडल जीत चुकी है|  प्रकाशो तोमर ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में लगभग 25 मेडल जीतकर रिकार्ड कायम किया।
धीरे-धीरे वह निशानेबाजी की दुनिया उतर आईं। 2001 में उन्होंने वाराणसी में 24वीं उप्र राज्य निशानेबाजी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके बाद अब उनको भी याद नहीं है कि उन्होंने कितनी प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अचूक निशाने लगाए और पदक जीते। वे राष्ट्रीय स्तर पर 25 से अधिक खिताब जीत चुकी हैं। एक प्रतियोगिता में एयर पिस्टल .32 बोर की यह महारथी पुलिस के डीआईजी को भी मात दे चुकी हैं,  एयर पिस्टल 25 मीटर में उन्होंने 2001 में यूपी स्टेट चंडीगढ़ में सिल्वर, 2001 में अहमदाबाद में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में स्वर्ण, 2001 में तमिलनाडु में नेशनल प्रतियोगिता में स्वर्ण, 2002 में दिल्ली में नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड जीता।
काशो कोयंबटूर में सिल्वर मेडल, ,  और चेन्नई में सिल्वर मेडल जीत चुकीं हैं।
2009 में सोनीपत में हुए चौधरी चतर सिंह मेमोरियल प्रतिभा सम्मान समारोह में उन्हें सोनिया गांधी ने सम्मानित किया। उत्तर प्रदेशीय महिला मंच के संस्‍थापक और कलम के योद्धा रहे स्‍व0 वेद अग्रवाल की स्‍मृति में दिए जाने वाला साहित्‍य-पत्रकारिता-2011 पुरस्‍कार ,2006 में मेरठ में उन्हें स्त्री शक्ति सम्मान मिला।




दादी की हिम्मत का फल है की अब इस गाँव की अगली पीढ़ी में भी कई और निशानेबाज़ तैयार हो रहे है| दादी को देख और भी महिलाए इस खेल को अपनाकर कई स्पर्धाओं में भाग ले रही है| इतना ही नही की दादी ने ही निशानेबाज़ी में झंडे गड़ रखे है, उनकी बेटी सीमा तोमर और उनकी पोटियाँ भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सिर उँचा किया है| सीमा खुद एक आंरराष्ट्रीय शूटर है और तीन साल से वुमैन शूटिंग की राष्ट्रीय चैम्पियन है| प्रकाशो तोमर किसान परिवार से हैं। ढेरों मेडल जीतने के बाद भी उनकी दुनिया नहीं बदली है।
वे आज भी घर के काम करती हैं और परिवार की देखरेख करती हैं। अधिक उम्र होने के बाद भी उनके जज्बे में कोई कमी नहीं आई है।

वर्षा तोमर

वर्षा तोमर एक प्रतिभाशाली शूटर है जो उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बावली गाँव की रहने वाली है उनकी माँ उनको प्यार से शेर बेटा कहते है
प्रतिभाएं जन्मजात होती है। मगर यदि इन्हें प्रोत्साहन, सुविधा और संसाधन ना मिले तो ये अंकुरित होने से पहले ही दम तोड़ देती है। मगर कुछ ऐसे अपवाद भी होते है जो बिन सुविधा के भी अपने मुकाम को हासिल कर लेते है। ग्रामीण अंचलीय परिवेश में पली-बड़ी वर्षा तोमर भी ऐसे ही क्षेत्र से निकलकर विश्वपटल पर आज अपने क्षेत्र का नाम रोशन कर रही है।शूटर वर्षा तोमर अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने छोटे भाई बदन सिंह तोमर को देती हैं। बदन सिंह खुद नेशनल शूटर हैं। बकौल वर्षा, 'भैय्या ही मुझे शूटिंग के गेम में लेकर आए और हर कदम पर उनके सहयोग के चलते ही शॉट गन जैसे बेहद खर्चीले गेम में मुकाम हासिल कर पाई। कई बार ऐसे भी मौके आए जब पैसे की कमी आड़े आई तो उन्होंने खुद कई महत्वपूर्ण प्रतियोगिता में हिस्सा न लेकर मेरी तैयारी कराई'। एशियन क्ले चैम्पियनशिप में 2008 से 2011 तक लगातार पदक जीतने वाली वर्षा के खाते में छह इंटरनेशल व 32 नेशनल प्रतियोगिताओं में पदक जीतने का कीर्तिमान दर्ज है।  आज वर्षा आर्मी में है
 


सफलता का दौर

पटियाला में आयोजित दसंवी मास्टर शूटिंग चैम्पियनशिप में देश के नामचीन शूटरों के बीच से निकलकर बागपत की वर्षा तोमर ने सिल्वर मेडल हासिल कर एक बार फिर वेस्ट यूपी का गौरव बढ़ाया है।शूटिंग के क्षेत्र में देश के टॉप 12 शूटर के बीच मास्टर शुटिंग चैम्पियनशिप प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। इस बार प्रतियोगिता का आयोजन पटियाला में हुआ। करणसिंघ शूटिंग रेंज में हुई 57 वे नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप में सिल्वर जीता था


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